5 Simple Statements About Shodashi Explained

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Celebrations like Lalita Jayanti underscore her significance, in which rituals and offerings are made in her honor. These observances are a testament to her enduring allure as well as the profound effects she has on her devotees' life.

The worship of these deities follows a specific sequence referred to as Kaadi, Hadi, and Saadi, with Every goddess linked to a certain approach to devotion and spiritual practice.

हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता

Within the context of ability, Tripura Sundari's magnificence is intertwined with her energy. She is not only the symbol of aesthetic perfection but in addition of sovereignty and overcome evil.

ह्रीं ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर read more वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः

सावित्री तत्पदार्था शशियुतमकुटा पञ्चशीर्षा त्रिनेत्रा

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach

कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में

बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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